लंबे इंतजार के बाद रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसका ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस कोरोना वायरस वैक्सीन को अपनी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी बताया कि उनकी बेटी को यह टीका लगाया जा चुका है। मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने एडेनोवायरस ( Adenovirus) को बेस बनाकर यह वैक्सीन तैयार की है।
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President of Russia Vladimir Putin |
इसी हफ्ते से यह वैक्सीन नागरिकों को दी जाने लगेगी
इसी हफ्ते से यह वैक्सीन नागरिकों को दी जाने लगेगी। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको के मुताबिक, इसी महीने से हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन देने की शुरुआत हो सकती है। मगर वहीं पर इसका विरोध होने लगा है। मल्टीनैशनल फार्मा कंपनीज ( Multinational pharma companies) की एक लोकल एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि क्लिनिकल ट्रायल पूरा किए बिना वैक्सीन के सिविल यूज की इजाजत देना खतरनाक कदम साबित हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल्स ऑर्गनाइजेशन (Association of Clinical Trial Organization) ने बताया हैं कि अभी तक 100 से भी कम लोगों को डोज दी गई है। ऐसे में यह वैक्सीन बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है।
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Photo From Social Media |
यूनिवर्सिटी में टॉप साइंटिस्ट वादिम तारासॉव ने दावा की……
सेशेनॉव यूनिवर्सिटी ( Seshenov University) में टॉप साइंटिस्ट वादिम तारासॉव ( Vadim Tarasov) ने दावा किया है कि देश 20 साल से इस क्षेत्र में अपनी क्षमता और काबिलियत को तेज करने के काम में लगा हुआ है। इस बात पर लंबे वक्त से रिसर्च की जा रही है कि वायरस कैसे फैलते हैं। इन्हीं दो दशकों की मेहनत का नतीजा है कि देश को शुरुआत ज़ीरो से नहीं करनी पड़ी और उन्हें वैक्सीन बनाने में आगे आकर काम शुरू करने का मौका मिला। इस वैक्सीन को रूस रक्षा मंत्रालय और गमलेया नैशनल सेंटर फॉर रिसर्च ने तैयार किया है।
रूस की कामयाबी पर दुनिया के कई देश संदेह भी जताया।
इस वैक्सीन का निर्माण गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट और रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने मिलकर तैयार किया है। हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे 12 अगस्त को रिजस्ट्रेशन किया जाना था। हालांकि रूस की कामयाबी पर दुनिया के कई देश संदेह भी जताया और हड़बड़ी में किए गए रिजस्ट्रेशन पर सवाल भी उठा रहे हैं। इन देशों का कहना है कि फेज-3 के ट्रायल से पहले इसका रजिस्ट्रेशन सही से नहीं हुआ है।क्योंकी इसमें कई महीनों का वक्त लगता है और हजारों लोगों की जिंदगी दांव पर लगी होती है। दुनिया के जाने माने संक्रामक रोगों के एक्सपर्ट डॉक्टर एंथनी फॉसी ( Doctor anthony fossey) भी रूस की वैक्सीन पर शुरू से ही सवाल उठाते रहे हैं। आपको बता दे कि रूस में इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल 18 जून को शुरू किया गया था। जिसमें 38 लोगों ने हिस्सा लिया। जिसमें सभी ने वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी हासिल कर ली। पहला ग्रुप 15 जुलाई का डिस्चार्ज किया गया जबकि दूसरा ग्रुप 20 जुलाई को छोड़ा गया।
चीन ने अपने सैनिकों को कोरोना का टीका लगाने शुरू कर दिया है।
चीन ने अपने सैनिकों को कोरोना का टीका लगाने शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के माने तो पीपल्स लिबरेशन आर्मी ( People’s Liberation Army ) की मदद से
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People’s Liberation Army (China) |
बना यह कोरोना कि टीका बड़े पैमाने पर सैनिकों को लगाया जा रहा है। खास बात यह है कि ऐसा तब हो रहा है जब टीके का तीसरे चरण में ट्रायल चल रहा है । इसके नतीजे आने से पहले ही चीन ने अपने सैनिकों को टीका लगाना शुरू कर दिया है।