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जब बिहार पुलिस मुंबई पहुंची।
सबसे पहले जब पटना पुलिस की टीम मुंबई पहुंची तो उसे मुंबई पुलिस के एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर में भटकना परा। काफ़ी घंटा इसी में लग गए। मुंबई पुलिस ने पटना पुलिस के इन अधिकारियों को कहा की देखिए जब दूसरे किसी राज्य के पुलिस आती हैं मुंबई में इंक्वायरी करने तो मुंबई पुलिस के तरफ से नोडल एजेंसी क्राइम ब्रांच हैं। आप क्राइम ब्रांच के पास जाईए। इसके बाद पटना पुलिस के चारो अधिकारी क्राइम ब्रांच के डीसीपी के पास गए जहां पर उन्हें घंटो लग गए। इसके बाद उन्होंने जांच सुरु कि। इन्होंने कुछ बयानों को मांगा। कुछ सबूतों को मांगा। मुंबई पुलिस कि और से कहा गया कि इन्हें सहयोग दिया जाएगा। वहीं पटना पुलिस का कहना हैं कि सहयोग हमें मिल रहा हैं। लेकिन ये सब ऑन रिकॉर्ड कहा जा रहा था। अधिकारीक तौर पर ये दोनों पुलिस के तरफ से एक दूसरे के खिलाफ नहीं बोल रहे थें। लेकिन जो दिख रहा था। उससे साफ लगता हैं मुंबई पुलिस के तरफ से पटना पुलिस को सहयोग नहीं मिल रहा हैै। जब बिहार पुलिस मुंबई पहुंची तो उन्हें किसी भी तरह के सैन्य सहायता (logistical support) नहीं दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के माने तो सुरुआत के एक दो दिन देखा गया कि निलोक परनवाल जो सुशांत सिंह के फैमिली फ्रेंड हैै। एक बिजनेस मेन हैं उन्होंने अपनी निजी गाड़ी में एक जगह से दूसरे
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जगह जांच के लिए घुमाया। इसके बाद कुछ बात विवाद हुआ कि किस तरह इन पुलिस कर्मचारी निजी वेक्ती के गाड़ी में घूम रहे हैं। इसके बाद इन पुलिस अधिकारियों को ऑटो से घूमना परा।
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एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ऑटो का मदद लेना परा। मुंबई पुलिस के तरफ से किसी भी तरह का सरकारी गाड़ी दिया गया और ना ही इन्हें कोई कांस्टेबल रेंक तक का भी अधिकारी दिया गया। इससे साबित होता है कि मुंबई पुलिस के तरफ से पटना पुलिस को सहयोग नहीं दिया जा रहा हैं।